ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बक़ाई ने संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह में कहा कि ईरान एक ऐसे संयुक्त राष्ट्र में विश्वास रखता है जो देशों के अधिकारों का वास्तविक प्रतिनिधित्व करे और न्याय का पक्षधर हो।
उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियाँ यह दर्शाती हैं कि कुछ शक्तिशाली देश संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने में असफल रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठन को द्वितीय विश्व युद्ध के विनाशकारी परिणामों से सीखने की आवश्यकता है। अब पीछे हटने या चुप रहने का समय नहीं है।
बक़ाई ने सुरक्षा परिषद में शक्तिशाली देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का उल्लंघन करने और इस्राईल द्वारा फिलिस्तीन में सैन्य गतिविधियों का समर्थन करने को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का खुला उल्लंघन बताया।
उन्होंने लैटिन अमेरिका में अमेरिकी हस्तक्षेप, वेनेजुएला और क्यूबा जैसे देशों को धमकाने की नीतियों की भी निंदा की और कहा कि यह कदम अंतर्राष्ट्रीय कानून और शांति के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा कि ईरान हमेशा शांति, न्याय, मानव गरिमा और देशों के बीच मित्रवत संबंधों का समर्थक रहा है और संयुक्त राष्ट्र में अपना निर्धारित कर्तव्य जिम्मेदारी से निभाता रहा है, हालांकि ईरान को इस मामले में भेदभाव का सामना करना पड़ा है। ईरान ने कभी इस संस्था को अप्रभावी नहीं माना और न ही इसके संस्थानों को धमकी दी।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि हम सभी मिलकर एक ऐसा संयुक्त राष्ट्र बनाएं जो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को युद्ध के अभिशाप से सुरक्षित रख सके।
आपकी टिप्पणी